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मंत्री जी की भैंस

मेरा पन्ना
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उत्तर प्रदेश के एक बड़े मँत्री जी हैं , मँत्री भी ऐसे जिनसे मुख्यमँत्री भी डरें की भइया किसी बात को लेकर ए नाराज ना हो जाएं वरना बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे । पिछले दिनों मँत्री जी विदेश भ्रमण पर गए थे ज्ञानार्जन करने , जब वापस लौटे तो ज्ञान ओवरफ्लो हो रहा था और इसके छिंटे मीडिया पर भी पड़े ।
इधर इनके तबेले की भैसें तो कोरी भैंस ही बनी रहीं थोड़ी भी दुनिया-दारी की बातें ना सीख पायीं । कोइ भलेमानुष इन भैसों की अज्ञानता पर द्रवित हुआ और रात को तबेले का ताला तोड़ अपने साथ ले गया । भैसें चली घूमने | सांकृत्यायन जी ने भी कहा है घुमने से बुद्धि बढ़ती है । डीएम , एसपी सब परेशान कहाँ चली गईं भैसें बिना बताए । जाना ही था तो नोटिस भेज देतीं , साथ मे सिक्योरिटी लगा दी जाती । ए भैसें प्रदेश की धरोहर हैं इन्हे कुछ हुआ तो क्या मुंह दिखाएंगे मँत्री जी को ? जुट गए सब ढुँढने , पुरे जिले की पुलिस लगा दी गइ यहाँ तक कि पुलिस के जासूसी कुत्ते भी भैसों को ढुँढने निकल पड़े । मेहनत और कर्तव्यपरायणता सफल हुइ और महज 36 घंटों मे भैसें मिल गयीं । वाकई ! मानना पड़ेगा पुलिस और प्रशासन को जो इतने तेज-तर्रार हैं ।
दुसरी तरफ इनकी इस बहादुरी से एक नया सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर पुलिस और प्रशासन को आम जनता की समस्याएं क्यों दिखाइ नही देतीं ? क्या लोकतांत्रिक समानता वाले देश मे यह इनका दोहरा चरित्र नहीं ?
लेकिन ऐसा नहीं है । दरअसल बात यह है कि पुलिस और प्रशासन के कार्यो को दो वर्गों मे बाँटा गया है । वर्ग एक मे वीआईपी लोग आते हैं और दुसरे वर्ग मे आम जनता । अब यह आम जनता की गलती है कि वह वीआईपी नहीं बन पाई । पहले यह वीआईपी बन जाए तो इनकी भी समस्याएं दूर कर दी जाएंगी झट से । हड़पी जमीन दबंग वापस कर देंगे , अपने घर मे शांति से रह सकेंगे , और तो और इनकी भी भैंस तो क्या चूहे , बिल्ली को ऐसे ढुँढ लिया जाएगा जैसे सपने मे तारे तोड़ लाना हो । इसलिए अब वीआईपी बनने के लिए साम दाम दंड भेद के बारे मे सोचिए । क्यों बेचारे पुलिस वालों और मँत्री जी के भैंस के पिछे हाथ धोकर पड़े हैं ?

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