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आतंकित करते अतिथि डेंगू जी !

मेरा पन्ना
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सुबह से ही पड़ोस में रहने वाले दुबे जी युद्धस्तर पर सफाई अभियान छेड़े हुए थे और साथ ही साथ आस-पास के लोगों को कुछ सचेत कर रहे थे | दुबे जी के इस कर्मकांडी अवतार पर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था | दुबे जी गप्पेबाजी के बड़े उस्ताद हैं | कर्तव्यनिष्ठ इतने कि इन्हें निठल्ला , निकम्मा जैसी उपाधियाँ मिल चुकी हैं | पता चला कि वे किसी अतिथि महोदय से परेशान हैं | यूँ तो दुबे जी के यहाँ मैंने कभी किसी अतिथि को नही देखा, लेकिन उनके आज के क्रिया कलापों को देखकर उनके मन में छिपी अतिथि सत्कार की भावना को जरूर समझ गया | बेचारे कितनी मेहनत कर रहे हैं आज | मैं भी अपने पडोसी धर्म की औपचारिकता पूरी करने उनके पास पहुच गया |
” दुबे जी किसके आव-भगत की तैयारी हो रही है ? ” इतना पूछते ही दुबे जी झल्लाते हुए बोले – ” अरे मै आव-भगत की नही भगाने की तैयारी कर रहा हूँ | ”
मुझे तो पहले से ही दाल काली नजर आ रही थी । लेकिन भगाने के लिए सफाई अभियान ! बात कुछ समझ में नही आई | ए कैसे अतिथि हैं भाई !
फिर दुबे जी बोले – ” अरे भाई आजकल डेंगू जी के आतंक से सब परेशान हैं | जहाँ देखो वहीँ मुह उठाये पहुच जा रहे हैं | सुना है की जहाँ कूड़ा-करकट , गन्दगी फैली है वहा और जल्दी पहुच जाते हैं | ”
डेंगू जी के बारे में मेरी जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी और ऊपर से दुबे जी के श्रीमुख से पहली बार कुछ नई तरह की बाते सुन रहा था |
दुबे जी मेरी अकुलाहट समझ फिर बोले – आज कल हर इलाके में डेंगू जी के आतंक का प्रभाव है | ए ढीठ इतने हैं की सरकार की नाक में भी दम करके रख दिया है | इनके आतंक के चलते अस्पतालों में भीढ़ बढती जा रही है | डेंगू जी को अपने प्रभाव की बहुत चिंता है |सरकार इनके प्रभाव की जाँच करने के लिए कितनी भी व्यवस्था कर ले ए उसे धता बताने पर तुले पड़े हैं |
तब तक हमारे एक और पडोसी खलनायक को नायक बनाते हुए बोले – लेकिन एक बहुत नाइंसाफी हुई है डेंगू जी के साथ | ए बेचारे अपने वाहन से ही तंग रहते हैं | इनके वाहन विशेष किश्म के मच्छरेश्वर महाराज थोड़े कमजोर टाईप के हैं | मूषक महाराज भले ही गणेश जी को लादकर पुरे स्फूर्ति से विचरण करते हों , लेकिन ए मच्छरेश्वर महाराज कम दूर तक ही उड़ पाते हैं और वो भी जमीन से डेढ़-दो फुट की ऊंचाई तक ही | डेंगू जी को एक और समस्या का सामना करना पड़ता है , ए मच्छरेश्वर महाराज बस दिन में ही विचरण कर सकते हैं रात को हड़ताल पर रहते हैं | लेकिन डेंगू जी भी कम हिम्मती थोड़े हैं , इसके बावजूद भी ज्यादा से ज्यादा लोगों के घर टपक पड़ते हैं |
अब मोर्चा सम्हालने की बारी दुबे जी की थी तुरंत बोल पड़े – इन पर अंकुश लगाने के लिए एक इलाके में अभियान चलाया जाता है , तो तपाक से दुशरे इलाके में पहुच जाते हैं , वहा अभियान चलाया जाता है तो तिसरे इलाके में पहुच जाते हैं | और अब तो शायद ही कोई इलाका बचा हो जहाँ इनके आतिथ्य से लोग परेशान ना हों |
अब तो मै भी परेशान था कि न जाने कब डेंगू महोदय से सामना हो जाए और लेने के देने पड़ जाएं ।

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